प्रेम एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।
प्रेम होना ठीक वैसा ही है जैसे पेड़ों में स्वयं पत्ते लगना, कलियों का स्वयं फूलों में परिवर्तित होना और फलों का स्वयं ही पक कर मीठा हो जाना।
क्योंकि प्रेम एक प्राकृतिक प्रक्रिया है इसलिए प्रेमी प्रेम में पड़कर स्वयं ही प्रकृति की तरफ़ आकर्षित हो जाते हैं। उन्हें अच्छा लगता है प्रकृति का हर वो क्रिया कलाप जिसमें मिलन का सुख समाया हो। फ़िर चाहे वो आसमान से कूदकर आती बारिश का जमीन से मिलना हो या फ़िर मीलों दूर से भागकर आती हुई नदी का समुद्र से मिलना हो। हर शाम धरती की आग़ोश में समाता सूरज भी मिलन का सुख देता है और चाँद का रात्री में उस काले आसमान के साथ खुशियाँ मनाना भी मिलन का संदेश देता प्रतीत होता है।
पर हर मानवीय प्रेम कहानी की तरह प्रकृति में भी बिछड़ने की ढेरों दास्तान समाहित है। बिछड़ना जैसे पर्वत का नदी से, बारिश का बादल से और पत्तों का पेड़ से बिछड़ जाना।
पर इन सब में जो सबसे अच्छी बात है वो ये कि मिलने और बिछड़ने के इस घटनाक्रमों के बाद भी प्रकृति अपना दायित्व कभी नही भूलती। ये प्रकृति कभी भी मिलने के सुख में उन्मादी होकर ख़ुद के कर्तव्यों को नही भूलती और ना ही कभी बिछड़ने के दर्द में अपने दायित्वों से मुँह मोड़ती है।
क्या हो अगर ये प्रकृति भी अपनी भावनाओं के अनुरूप व्यवहार करने लगे?? तय है कि फ़िर विनाश का क्षण ज्यादा दूर नही होगा।
इस बात से तो हम सभी सहमत हैं कि प्रेम हमें प्रकृति के करीब ले आता है और प्रकृति के करीब आकर हम इतना तो सीख ही सकते हैं कि किसी भी परिस्थिति में हमें अपने दायित्वों से, अपने कर्तव्यों से मुँह नही मोड़ना चाहिए। अन्यथा हम स्वयं का या स्वयं से जुड़े लोगों का ही अहित करेंगे और प्रेम कभी भी किसी का अहित नही चाहता क्योंकि प्रेम प्राकृतिक है भौतिक नहीं।
अंततः हम इस निर्णय पर पहुँचते हैं कि:
मिलना और बिछड़ना होगा, जग की यही कहानी है
कौन रहेगा किसको जाना, तय करना बेइमानी है
क्षणभंगुर इंसानी जीवन, कोई पक्का ठौर नही
मोहपाश की माया में यूँ, खो जाना नादानी है
अमित 'मौन'
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २५०० वीं बुलेटिन ... तो पढ़ना न भूलें ...
ReplyDeleteढाई हज़ारवीं ब्लॉग-बुलेटिन बनाम तीन सौ पैंसठ " , में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
हार्दिक आभार आपका
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-08-2019) को "खोया हुआ बसन्त" (चर्चा अंक- 3426) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आपका
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ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 14 अगस्त 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
हार्दिक आभार आपका
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ReplyDeleteविडीओ ब्लॉग पंच में आपके इस ब्लॉगपोस्ट की विडीओ चर्चा ब्लॉग पंच के नेक्स्ट एपिसोड में याने ब्लॉग पंच 4 में की जाएगी और उसमें से बेस्ट ब्लॉग चुना जाएगा पाठको द्वारा वहाँ पर दी गई कमेंट के आधार पर ।
ब्लॉग पंच का उद्देश्य मात्र यही है कि आपके ब्लॉग पर अधिक पाठक आये और अच्छे पाठको को अच्छी पोस्ट पढ़ने मीले ।
एक बार पधारकर आपकी अमूल्य कमेंट जरूर दे
विडीओ ब्लॉग मंच का पार्ट ब्लॉग पंच 1 यहाँ पर है
विडीओ ब्लॉग मंच का पार्ट ब्लॉग पंच पार्ट 2 यहाँ है
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ब्लॉग पंच क्या है वो आप यहाँ पढ़े ब्लॉग पंच
आपका अपना
Enoxo multimedia
हार्दिक धन्यवाद आपका
Deleteबेहतरीन से
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद आपका
Deleteजी बहुत शानदार सृजन ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर... लाजवाब सृजन ।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
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