Wednesday, 11 September 2019

आत्ममंथन

किसी इंसान की ज़िंदगी का वह दौर सबसे भयावह होता है जहाँ पूरी दुनिया की भीड़ मिलकर भी उसकी तन्हाई दूर नही कर पाती। उसके चारों ओर हँसते हुए चेहरे उसको रोने के लिए उत्साहित करते हैं। उसके कानों में पड़ने वाली हर आवाज़ को वो ख़ामोश कर देना चाहता है।

वो दौर जब उजाला उसके लिए एक डर लेकर आता है क्योंकि वो अंधेरे को छोड़ना नही चाहता। जब बदलते मौसम भी बदलाव का एहसास नही कराते। जब तारीखें बदलने पर भी कुछ नही बदलता।

वो दौर जब इंसान ख़ुद से सवाल करता है और ख़ुद ही जवाब देता है।

परिस्थिति के उस चक्र को आत्ममंथन की तरह इस्तेमाल करने वाले लोग मानसिक रूप से सबसे अधिक मजबूत इंसान बन जाते हैं।

अमित 'मौन'

3 comments:

  1. परिस्थिति के उस दौर से निकल आना भी बहुत जरूरी होता है ...
    और मजबूत मानसिकता की जरूरत होती है ...

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    1. जी बिल्कुल सही कहा आपने...बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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  2. हार्दिक आभार आपका

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