सुख और दुःख एक सिक्के के दो पहलू हैं। पर विडम्बना ये है कि कभी कभी हमारे हिस्से वो सिक्का आता है जिसके दोनों पहलू में दुःख ही छिपे होते हैं।
ऐसे में भाग्य का सिर्फ़ इतना महत्व होता है कि वो सिक्के को उछालने के बाद ज़मीन पर गिरने ही ना दे।मैं अपने जीवन में सिर्फ़ इतना भाग्यशाली रहा कि जब मैं कोई सुखी सपना देख रहा होता हूँ तब दुःख मेरे सिरहाने बैठ कर मेरे जागने का इंतज़ार कर रहा होता है।
अमित 'मौन'
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteये समय है।
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
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ReplyDeleteजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (३०-११-२०२०) को 'मन तुम 'बुद्ध' हो जाना'(चर्चा अंक-३९०१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
हार्दिक आभार आपका
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 30 नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteवाह! बहुत खूब!
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति - -
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteहृदय स्पर्शी उद्गार।
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteबढ़िया कहा ।
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
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