'मैं तो यही चाहूँगी कि हम बीच बीच में मिलते रहें, बाकी तुम्हारी मर्जी' ये उसकी आख़िरी लाइन थी जो मेरे कानों ने सुनी थी। उसके बाद हम कभी नही मिले।
एक आम आशिक़ की तरह मैंने भी कई बार उससे कहा था कि तुम आँखों से जादू टोना करती हो क्योंकि मैं जब भी इन्हें देखता हूँ बस खो जाता हूँ। सच बताऊँ तो उसकी आँखों को मैंने इतनी शिद्दत से देखा है कि उनका जादू मेरी आँखों में उतर आया है। मैं जब भी अपनी आँखें बंद करता हूँ तो उसका चेहरा मेरी आँखों के सामने आ जाता है। कई बार हम खुली आँखों से उतना सब नही देख पाते जितना आँखें बंद करके देख लेते हैं।
उसे सिगरेट से सख़्त नफ़रत थी और उसके जाने के बाद मैंने पीना ज्यादा कर दिया। जलती सिगरेट की चिंगारी देख मुझे यूँ लगता जैसे ये आग नही मैं उसका दिल जला रहा हूँ। इधर सिगरेट ख़त्म होती उधर मेरे बदले की भावना। कई बार आग सिर्फ़ जलाने के नही बुझाने के काम भी आती है।
मैंने बोलना बंद कर दिया था क्योंकि मैं चीखना चाहता था और चीखने वाले को पागल घोषित कर दिया जाता है। मैं पागल नही था बल्कि मैं तो अब पागलपन के दौर से बाहर आया था। कई बार हम किसी इंसान के इतने अंदर समा जाते हैं कि उसके बाहर हमें कुछ दिखाई देना बंद हो जाता है। फ़िर एक दिन बेहोशी टूटती है और हम ख़ुद को बीच सड़क पर पड़ा हुआ पाते हैं। पर उस दिन कोई हमें उठाने वाला नही होता क्योंकि इस दुनिया का उसूल है कि यहाँ गिरते हुए को संभालने वाले तो मिल जाएंगे पर जो गिरा है उसे उठाने के लिए कोई नही झुकना चाहता। मैंने ख़ुद को संभाला भी है और उठकर आगे भी चल पड़ा हूँ।
ख़ैर मेरे नंगे पाँव अब उस नर्म घास पर कभी नही चलना चाहते। उस जमीन पर चुभे काँटों के घाव अब सूख चुके हैं।
ये सारा दोष इस परफ्यूम की शीशी का है जो पता नही कैसे बची रह गयी और मुझे ये सब याद दिला गयी। शायद उसके जाने के बाद मैंने कभी परफ्यूम नही लगाया।
अमित 'मौन'
Welcome to my Blog. I write what i saw & learn from life. Because: जो पढ़ा किताबों में, अमल में लाऊं भी तो क्या, ये जिंदगी है जनाब, फलसफ़ों से नही चलती.... Suggestions/appreciations in comment box are always welcomed. You can also read my latest writing at the following link: www.yourquote.in/amitmaun
Tuesday, 2 March 2021
परफ्यूम
P.C. : GOOGLE
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अधूरी कविता
इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...
-
घर के सब बच्चों के साथ पूरी मस्ती में जीते थे मिलता था जब दूध हमे सब नाप नाप के पीते थे स्कूल से वापस आते ही हम खेलने भाग जाते थे खाना जब...
-
जितना मुंह मोड़ोगी उतना पीछे आऊंगा तुम रुठ जाना मैं फिर मनाऊँगा जितनी शिकायत करोगी मैं उतना सताऊंगा तुम रूठ जाना मैं फिर मनाऊँगा जितनी दू...
-
इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...
Spice Money Login Thanks You.
ReplyDeleteMunger News
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका
Deleteआपने बहुत अच्छी जानकारी दी है। हमे उम्मीद है की आप आगे भी ऐसी ही जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे। हमने भी लोगो की मदद करने के लिए चोटी सी कोशिश की है। यह हमारी वैबसाइट है जिसमे हमने और हमारी टीम ने दिल्ली के बारे मे बताया है। और आगे भी इस Delhi Capital India वैबसाइट मे हम दिल्ली से संबन्धित जानकारी देते रहेंगे। आप हमारी मदद कर सकते है। हमारी इस वैबसाइट को एक बैकलिंक दे कर।
ReplyDelete