जो तारे टूट जाते हैं
वो फ़िर कभी नही जुड़ पातेजब जुगनू मरते हैं
तो उनकी रोशनी भी मर जाती है
किसी अपने से बिछड़ने के बाद
जब जीवन करवट बदलता है
तब सैकड़ों सूरज मिलकर भी
कोनों का अंधकार नही मिटा पाते
कई बार हम ऐसी गलती कर जाते हैं
कि दुःखों के लिए स्वयं दरवाजे खोल आते हैं
हम मंगल पर जाकर यान उतार सकते हैं
पर अतीत में जाकर गलतियाँ नही सुधार सकते
शायद पीछे मुड़ना आगे बढ़ने से ज्यादा मुश्किल होता है
जब कोई ख़ुशी अलविदा कहती है
तो अपने साथ अपना हिस्सा ले जाती है
अब इसे एक विडंबना कह सकते हैं कि
हम साथ बिताए पलों को तो कैद कर लेते हैं
पर उन पलों के साथी को नही रोक पाते
लेकिन पछतावे में डूब कर भी
सबक का मोती निकाला जा सकता है
सिर्फ़ कुछ खोकर ही
बहुत कुछ खोने के दुःख से बचा जा सकता है
पीछे गिरकर आगे संभल जाना
मुश्किलें कम कर देता है।
अमित 'मौन'
बहुत ही सुंदर
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