जटाओं में गंगा विराजे,
साथ में चन्दा है साजे
गले में है सर्पों का झुण्ड,
नेत्र जैसे अग्निकुंड
हाथ में डमरू है साजे,
हिले धरा जब भी ये बाजे
मिटायें दानव मूल से,
जो करें ये वार त्रिशूल से
वास है उनका कैलाश पे,
नंदी भृंगी है साथ में
शिव शम्भू है भोले भंडारी,
वो मेरे प्रभु मैं उनका पुजारी
Welcome to my Blog. I write what i saw & learn from life. Because: जो पढ़ा किताबों में, अमल में लाऊं भी तो क्या, ये जिंदगी है जनाब, फलसफ़ों से नही चलती.... Suggestions/appreciations in comment box are always welcomed. You can also read my latest writing at the following link: www.yourquote.in/amitmaun
Saturday, 30 December 2017
Shiv shambhu bhole bhandari
Wednesday, 27 December 2017
Kanha sun lo meri pukaar
कान्हा सुन लो मेरी पुकार
फिर से आ जाओ एक बार
त्रेता द्वापर में आये थे जैसे
कलियुग में भी आओ एक बार
गीता उपदेश दिया था जैसे
फिर से ज्ञान दे जाओ एक बार
भटक गए है हम इस दुनिया में
फिर से राह दिखाओ एक बार
अँधेरा सा है फैला हर ओर
यहाँ प्रकाश फैलाओ एक बार
कान्हा सुन लो मेरी पुकार
फिर से आ जाओ एक बार
Bus itni si kahaani, love of husband wife
सुबह की पीली रोशनी सी तेरी चमक दिल में सवेरा कर जाती है
चाय की पहली घूंट सी तेरी आँखें सीधे दिल में उतर जाती है
होठों से माथे को चूमना एक नया एहसास जगाता है
प्यार से उठाना तेरा मुझे फिर बिस्तर पे कहाँ रहा जाता है
तैयार ऐसे करती हो मुझे जैसे प्यारा सा बच्चा हूँ तुम्हारा
मैं शरारती तुम समझदार बस कुछ ऐसा रिश्ता है हमारा
भेज तो देती हो रोज खुद से दूर पर परेशान दिन भर रहती हो
रोक लेना चाहती हो पास मुझे पर खामोश ही रहती हो
शाम का इंतज़ार ऐसा जैसे काली रात में होगा चाँद का दीदार
बस इतनी सी कहानी अपनी जहाँ मैं तुम और ढेर सारा प्यार
Tuesday, 26 December 2017
Bas aisa hi hai mera yaar
पहले कराना यूँ इंतज़ार फिर आते ही शुरू तकरार
कभी समझ न आया मुझको बस ऐसा ही है मेरा यार
गुस्सा रहता नाक पे सवार रूठने को हरदम तैयार
वजह नही वो ढूंढा करता बस ऐसा ही है मेरा यार
चढ़े कभी जो उसे खुमार लुटा दे अनायास ही प्यार
थोड़ा अलग अंदाज़ है उसका बस ऐसा ही है मेरा यार
उसके बिन मैं हूँ बेजार अब वही मेरा संसार
जिसके संग है खुशियां सारी बस ऐसा ही है मेरा यार
Monday, 25 December 2017
Mujhe to yaad hai, kya tumhe yaad hai
वो सावन की पहली बारिश तेरा बस स्टॉप पे अकेले खड़ा रहना
मेरा बाइक से गुजरना और बारिश से बचने को उसी स्टॉप पे आना
तेरा मुझे देख के थोड़ा घबराना और मेरा तुझे देखते रह जाना
तेरे फ़ोन की बैटरी ख़तम होना और घर पे बताने को मेरा फ़ोन माँगना
मुझे तो याद है क्या तुम्हे याद है
तेरा धन्यवाद कहना अपना नाम बताना और मेरा नाम पूछना
तुम कहाँ रहती हो ये बताना और मेरा भी उसी रास्ते पे जाना
मेरे बारे में जानकर तेरा मुझपे यकीन जताना और मेरे साथ जाना
इस तरह बारिश का हमको मिलाना और हमारा रोज एक साथ आना जाना
मुझे तो याद है क्या तुम्हे याद है
मुलाकातों का सिलसिला बढ़ जाना और हमारा एक दूसरे के करीब आ जाना
यूँ घंटो हमारा बिना बातों के ढेर सारी बातें कर जाना
बिन कहे इशारे समझ जाना और एक दूसरे के साथ बाकी दुनिया भूल जाना
वैसे तो रोज देर से आना पर अगले दिन जल्दी आने का वादा करके जाना
मुझे तो याद है क्या तुम्हे याद है
कुछ दिनों तक तेरा ऑफिस ना आना और मेरा परेशान हो जाना
कई दिन तक मेरा फ़ोन न उठाना और एक दिन मेरा तेरे घर आ जाना
मुझे देख के तेरा डर जाना और मैं तुम्हारे ऑफिस से आया हूँ ऐसा सबको कहना
तेरा अपनी सगाई के बारे में बताना और बस मेरे सपनों का चूर चूर हो जाना
मुझे तो याद है क्या तुम्हे याद है
Sunday, 24 December 2017
Aao hum apni kahaani likhte hain
कुछ एहसास नए कुछ बातें पुरानी लिखते हैं
आओ हम अपनी कहानी लिखते हैं
लबों की नही दिल की जुबानी लिखते हैं
आओ हम अपनी कहानी लिखते है
दिल के समंदर में मौजों की रवानी लिखते हैं
आओ हम अपनी कहानी लिखते हैं
जिस्मों से परे एक रिश्ता रूहानी लिखते हैं
आओ हम अपनी कहानी लिखते हैं
Thursday, 21 December 2017
हे वीर धरा के उठो आज, hey veer dharaa ke utho aj
हे वीर धरा के उठो आज
कर्त्तव्य के पथ पे बढ़ो आज
फैली बुराइयां है चहुँ ओर
उन सबसे मिलके लड़ो आज
ये मातृभूमि है वीरों की
ये पुण्य धरा है धीरों की
गाथाएं लिखी हैं साहस की
अपने इतिहास को पढ़ो आज
ये माटी अब तुझे बुलाती है
बलिदानों की याद दिलाती है
अब वक़्त है क़र्ज़ चुकाने का
अपनी क्षमताओं से मिलो आज
किंकर्तव्यविमूढ़ सा खड़ा हुआ
किस दुविधा में है पड़ा हुआ
अब भूल के बंधन जात पात का
मिलाके कदम साथ तुम चलो आज
हे वीर धरा के उठो आज, कर्त्तव्य के पथ पे बढ़ो आज
Saturday, 16 December 2017
तुम रूठ जाना मैं फिर मनाऊँगा, tum rooth jaana main phir manaunga
जितना मुंह मोड़ोगी उतना पीछे आऊंगा
तुम रुठ जाना मैं फिर मनाऊँगा
जितनी शिकायत करोगी मैं उतना सताऊंगा
तुम रूठ जाना मैं फिर मनाऊँगा
जितनी दूर जाओगी उतना पास आऊंगा
तुम रूठ जाना मैं फिर मनाऊँगा
कहीं भी छुप जाओ तुम्हे ढूंढ के लाऊंगा
तुम रूठ जाना मैं फिर मनाऊँगा
Wednesday, 13 December 2017
ऐ खुदा बस इतना तू करम कर दे, aye khuda bus itna tu karam kar de
ऐ खुदा बस इतना तू करम कर दे
मर चुकी है इंसानियत इंसान में
उसके दिल में थोड़ा रहम भर दे
बेगैरत हो गया है जमाना आजकल
मतलबी लोगों में थोड़ी शरम भर दे
पत्थर दिल लोग काटते है गला अपनों का
आये अक्ल उनको दिल उनका नरम कर दे
मजहब के नाम पर तमाशा करते है ये
तू ख़त्म सभी मजहब और धर्म कर दे
ऐ खुदा बस इतना तू करम कर दे
अधूरी कविता
इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...

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घर के सब बच्चों के साथ पूरी मस्ती में जीते थे मिलता था जब दूध हमे सब नाप नाप के पीते थे स्कूल से वापस आते ही हम खेलने भाग जाते थे खाना जब...
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दायरों से निकलकर तुझे ख़ुद ही को आना होगा बदन पे जमी धूल तुझे ख़ुद ही को हटाना होगा परिंदों को सिखाता नहीं कला कोई उड़ान की पंख हौसलों ...
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जितना मुंह मोड़ोगी उतना पीछे आऊंगा तुम रुठ जाना मैं फिर मनाऊँगा जितनी शिकायत करोगी मैं उतना सताऊंगा तुम रूठ जाना मैं फिर मनाऊँगा जितनी दू...