तुम्हे सिर्फ़ नीला रंग पसंद था
क्योंकि आसमान अनंत है।
तुम्हे बालियाँ बहुत पसंद थी
क्योंकि दुनिया गोल और बड़ी है।
तुम बालों को खुला रखती थी
क्योंकि पक्षियों को उड़ना पसंद है।
तुम काजल ऊपर तक लगाती थी
क्योंकि काली रातें लंबी होती हैं।
तुम कितना बोलती थी
क्योंकि नदियों की प्रवृति बहते रहना है।
तुम अक़्सर गुस्सा हो जाती थी
क्योंकि मौसम बदलता रहता है।
मैं तब इन बातों को जान नही सका
क्योंकि होनी कभी टलती नही है।
मैं तुम्हें जाता हुआ देखता रहा
क्योंकि दिन ढलते जरूर हैं।
मैंने तुम्हें रोका नही
क्योंकि हवा मुट्ठी में नही टिकती।
अब मैं पहले जैसा नही रहा
क्योंकि फूल तोड़ने पर सूख जाते हैं।
अमित 'मौन'
वाह वाह। मैंने भी आज एक ब्लॉग पोस्ट इस बात पर लिखी है कि फैशन कंपनियां अब कोरोना मास्क से भी अपनी ब्रांड वैल्यू बढ़ा रही हैं, कृपया एक निगाह इधर भी देख लें।
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteयोगदिवस और पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
धन्यवाद आपका
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteबहुत अच्छी पोस्ट है बहुत खूबसूती से आपने शब्दों का प्रयोग किया है बहुत खूब
ReplyDeleteहाल ही में मैंने ब्लॉगर ज्वाइन किया है जिसमें कुछ पोस्ट डाले है आपसे निवेदन है कि आप हमारे ब्लॉग में आए और हमें सही दिशा नर्देश दे
https://shrikrishna444.blogspot.com/?m=1
धन्यवाद
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका
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