Saturday 20 June 2020

क्योंकि फूल तोड़ने पर सूख जाते हैं

तुम्हे सिर्फ़ नीला रंग पसंद था 
क्योंकि आसमान अनंत है।

तुम्हे बालियाँ बहुत पसंद थी
क्योंकि दुनिया गोल और बड़ी है।

तुम बालों को खुला रखती थी
क्योंकि पक्षियों को उड़ना पसंद है।

तुम काजल ऊपर तक लगाती थी 
क्योंकि काली रातें लंबी होती हैं।

तुम कितना बोलती थी
क्योंकि नदियों की प्रवृति बहते रहना है।

तुम अक़्सर गुस्सा हो जाती थी
क्योंकि मौसम बदलता रहता है।

मैं तब इन बातों को जान नही सका
क्योंकि होनी कभी टलती नही है।

मैं तुम्हें जाता हुआ देखता रहा
क्योंकि दिन ढलते जरूर हैं।

मैंने तुम्हें रोका नही
क्योंकि हवा मुट्ठी में नही टिकती।

अब मैं पहले जैसा नही रहा
क्योंकि फूल तोड़ने पर सूख जाते हैं।

अमित 'मौन'

  

9 comments:

  1. वाह वाह। मैंने भी आज एक ब्लॉग पोस्ट इस बात पर लिखी है कि फैशन कंपनियां अब कोरोना मास्क से भी अपनी ब्रांड वैल्यू बढ़ा रही हैं, कृपया एक निगाह इधर भी देख लें।

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर।
    योगदिवस और पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।

    ReplyDelete
  3. बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  4. बहुत अच्छी पोस्ट है बहुत खूबसूती से आपने शब्दों का प्रयोग किया है बहुत खूब

    हाल ही में मैंने ब्लॉगर ज्वाइन किया है जिसमें कुछ पोस्ट डाले है आपसे निवेदन है कि आप हमारे ब्लॉग में आए और हमें सही दिशा नर्देश दे
    https://shrikrishna444.blogspot.com/?m=1
    धन्यवाद

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका

      Delete
  5. बहुत बहुत धन्यवाद आपका

    ReplyDelete

अधूरी कविता

इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...