Friday, 29 January 2021

रिश्ते

किसी एक इच्छा के पूरी ना होने की उदासी कितनी और चीजों के मिलने की ख़ुशी को निग़ल जाती है। ऐसे ही किसी ख़ास रिश्ते के ख़त्म होने के बाद कोई और रिश्ता बनाने की हिम्मत हम कभी नही जुटा पाते।

यूँ तो रिश्तों की कोई उम्र नही होती। कई बार ये बस कुछ सालों के मेहमान होते हैं और कई बार ताउम्र साथ बने रहते हैं।

कुछ रिश्ते मरहम की तरह होते हैं जो किसी और से मिले घावों को ठीक करने का काम करते हैं तो कुछ रिश्ते हमारे लिए छाँव का काम करते हैं जिनके तले बैठ कर हम अपनी मानसिक थकान दूर करते हैं।

कुछ रिश्ते हमें एक सीमित दायरे में बाँध देते हैं और कुछ रिश्ते ऐसे बन जाते हैं जिनके बाहर हमें कुछ और दिखता ही नही। कुछ को हम चाहते हुए भी नही छोड़ सकते और कुछ ना चाहते हुए भी साथ छोड़ जाते हैं।

हम जन्म लेते ही ख़ुद को ढेरों रिश्तों के बीच घिरा हुआ पाते हैं पर आखिरकार ये निर्णय हमे ख़ुद ही लेना होता है कि मरने से पहले हम किन रिश्तों के साथ जीना चाहते हैं।

जीवन में कुछ रिश्ते ऐसे होने चाहिए जिनका साथ पाकर हम पूर्ण हो सकें और जिनके ना होने का ख़ालीपन कोई और ना भर सके।

अमित 'मौन'


P.C.: GOOGLE

 

Monday, 18 January 2021

कुछ और साल

मेरे मन की सारी मुश्किलों को

कितना आसान बना देती हो तुम

अपने मुस्कान के अनोखे जादू से

कुछ तो है करिश्माई तुम्हारे भीतर
जो हारी हुई मुरझाई साँसों में
ताजी हवा का झोंका भरता है

तुम बिल्कुल उन तितलियों जैसी हो
जो अनजान हैं अपनों मोहक रंगों से
जिन्हें नही पता कि उनको छूने की तमन्ना लिए
कितने बच्चे दौड़ा करते हैं अनायास ही

अंधेरी रातों और उदास आँखों के बीच
तुम बिल्कुल एक सितारे की तरह हो
जिसने बचा रखी है रोशनी की किरण
और सहारा है उस डरे आसमान का

सूखते बाग का आख़िरी बचा पेड़ हूँ मैं
और तुम सालों बाद इधर आए
काले बादल का उमड़ता प्यार
जो बरसेगा और बढ़ा देगा
मेरे जीवन के कुछ और साल।

अमित 'मौन'


P.C.:  GOOGLE


Saturday, 9 January 2021

बंद आँखें

कुछ तस्वीरें हम अपने पास नही रख सकते क्योंकि उन तस्वीरों को देखने का हक़ हम खो चुके होते हैं। कुछ सपनों की तस्वीरें नही बनाई जा सकती क्योंकि उनका कोई आकार नही होता। ऐसे में सिर्फ़ एक ही ज़रिया बचता है उन सबको देखने का और वो हैं बंद आँखें।

जिन्हें हम खुली आँखों से सबके सामने नही देख पाते उन सभी चीजों को हम बंद आंखों से कभी भी कहीं भी देख सकते हैं। आँखें बंद करके हम अपनी एक अलग दुनिया में पहुँच सकते हैं। हम अपने दुःख, दर्द, आँसू, सपने और एहसास सब कुछ इस दुनिया से छुपाकर उन बंद आँखों के पीछे रख सकते हैं, जिनसे हम और सिर्फ़ हम ही मिल सकते हैं।

बंद आँखें दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह है।

अमित 'मौन'


तस्वीर साभार - गूगल

Monday, 4 January 2021

दुखदायी

विकसित और विकासशील बनने की होड़ के बीच मैंने खोजी बनना चुना। जहाँ लोग बातें बनाना सीख रहे थे वहीं मैं चुप रहकर बातों के मतलब खोजने में लगा रहा। जब आगे बढ़ने के लिए लोग आवाज़ को ताकत बना रहे थे तब मैं ख़ुद में सुनने की क्षमता को विकसित करने में लगा हुआ था।

ग़ुस्सैल और झल्लाई हुई कर्कश आवाज़ों को दरकिनार करते हुए उसके पीछे की वजह पहचान लेने की कला दुनिया की आधी से ज्यादा समस्याओं को ख़त्म कर सकती है।

पहले बोलने वाले अक़्सर सुनने वाले की रुचि से अवगत नही होते जबकि पहले सुनने वाला ये जान जाता है कि क्या नही बोलना चाहिए।

बोलते हुए हम कुछ गलत ना बोलने के दबाव में रहते हैं जबकि सुनते हुए हम अनसुना करने की आज़ादी अपने पास रखते हैं।

मानव को बोलने की अनोखी ताकत देते हुए ईश्वर ने कभी नही सोचा होगा कि यही शक्ति एक दिन अभिशाप बन जाएगी।

ये विडंबना ही है कि सब कुछ बोल सकने वाले मनुष्य एक दूसरे को सुनना नही चाहते जबकि वही मनुष्य एक ही तरह की आवाज़ निकालने वाले पक्षियों और झरनों की आवाज़ें सुनने के लिए लालायित रहते हैं।

कभी कभी हमारे पास कहने को कितना कुछ होता है पर कोई सुनने वाला नही होता। सुना ना जाना कह ना पाने से ज़्यादा दुखदायी होता है।

इस दुनिया को अब कहने वाले नही सुनने वालों की ज्यादा जरूरत है।

अमित 'मौन'

P.C. : GOOGLE


अधूरी कविता

इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...