बेटियां प्यारी है उनपे प्यार लुटाओ
पर बेटों पे भी यूँ ना ऊँगली उठाओ
उम्मीदों की गठरी लिए फिरता है बेटा
बताता भी नही अगर कहीं गिरता है बेटा
जिंदगी की कश्मकश में उलझा है बेटा
पर चेहरे का भाव कहे कितना सुलझा है बेटा
बचपन में भले ही माँ का दुलारा है बेटा
पर वक़्त आया तो घर का सहारा है बेटा
वक़्त से पहले पहले बड़ा हो जाता है बेटा
देश के लिए सीमा पर खड़ा हो जाता है बेटा
कुछ लोगों के खातिर हर बेटे को न गलत बताओ
कभी तो शाबाशी देके थोड़ा बेटों से भी प्यार जताओ
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