सुनो ना आजकल सब चाय के बारे में लिख रहे हैं..
मैं भी लिख दूं क्या?
अपनी वो चाय और वो बातें ..याद है तुम्हे ..
मेरा अचानक तुम्हे चाय पे बुलाना
तुम्हारा घर पे नया बहाना बनाना
चोरी चोरी पीछे वाली गली से आना
गुस्से में मुझे खूब खरी खोटी सुनाना
मेरा बस तुम्हे देखना और मुस्कराना
और तुम्हारा वो झट से पिघल जाना
और हमारी चाय पे चर्चा शुरू हो जाना...
अच्छा वो याद है क्या तुम्हे...............
कभी चाय में चीनी ज्यादा हो जाना
फिर तुम्हारा उसमे और दूध मिलवाना
कभी वो अदरक का टुकड़ा रह जाना
और तुम्हारा एकदम से उछल जाना
तुम्हारा उस चाय वाले से लड़ जाना
तुम्हे दिखाने को मेरा भी भिड़ जाना
मेरा प्यार से समझाना तुम्हारा मान जाना...
अच्छा वो तो बिल्कुल याद होगा.....
वो तेज पत्ती वाली चाय की मिठास
जब हाथ में चाय और हम तुम पास
चाय पीते पीते ही लड़ना अनायास
बेवजह सुनना एक दूजे की बकवास
तुम्हारा वही लाल रंग वाला लिबास
मेरा तुम्हारी तारीफ़ करने का प्रयास
हाँ ये सब ही बनाते थे उस चाय को ख़ास..
अच्छा वो याद दिलाऊं क्या......
चाय के इंतज़ार में न कटती रातें
चाय के बहाने बढ़ती मुलाकातें
वो चाय की चुस्की और ढेरों बातें
जब चाय में दोनों बिस्कुट डुबाते
तुम्हारी सुनते और अपनी बताते
हम आज भी उस दुकान पे हैं जाते
पर तुम साथ नही इसलिये दो चाय नही मंगवाते...
खैर छोड़ो अब क्या जिक्र करना उन बातों का चलो चाय पीते हैं..☕️☕️☕️☕️
उम्दा
ReplyDeleteजी शुक्रिया आपका🙏
Deleteबहुत खूब!!!!
ReplyDeleteकम्बख़्त ये एक प्याली चाय!!!
यादों का पूरा जज़ीरा उबल पडा इससे तो!!!
जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका🙏
Deleteचाय के बाद पकौड़ों पर भी हो जाय कविता
ReplyDeleteबहुत खूब!
जी कोशिश रहेगी पकौड़ों के ऊपर भी लिखने की😊
Deleteबहुत शुक्रिया आपका🙏
जी हार्दिक धन्यवाद आपका🙏
ReplyDeleteबहुत खूब!!!!
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