Sunday 20 May 2018

कोई दीवाना होगा...

एक इशारे पे मर मिटा कोई दीवाना होगा
बिन शमा जल गया कोई  परवाना  होगा

रोशन है ये महफ़िल  कई चिराग़ों से अभी
सहर होते ही  बंजर जमीं पे  वीराना होगा

प्याले भर गये  अब जाम  छलका  करता है
जो मय की आरज़ू होगी खाली पैमाना होगा

हुस्न-ए-इश्क़ की आग़ोश में  लिपटा है अभी
गम-ए-तन्हाई हर आशिक़ का नज़राना होगा

हसरतों का जोर ना चला एक 'मौन' के आगे
टीस ग़हरी है आहों की ये ज़ख़्म पुराना होगा

2 comments:

  1. वाह ...
    अच्छे शेर हैं सभी इस ग़ज़ल के ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका🙏

      Delete

अधूरी कविता

इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...