Sunday, 28 July 2019

पहली बारिश

उफ़्फ़ ये पहली बारिश...

ये पहली बारिश भी ना बड़ी जिद्दी होती है, हर बार चली आती है, अपने उसी पुराने रूप में। बचपन से आज तक सब कुछ बदल गया, लोग बदल गए, गाँव बदल गए, शहर बदल गए और तो और रिश्तों के रूप भी बदल गए। पर इसे देखो आज तक नही बदली।

चली आती है हर बार वही नज़ारे लेकर, वही काले बादल, वही इंतज़ार करवाना, वही बिजली का कड़कना, वही ना चाहते हुए सबको भिगोना और फ़िर वही यादों का जखीरा लाकर सिरहाने पटक देना।

देखो आ गयी ये इस बार भी वही स्मृतियों की संदूक लिए। अब खोलो ये संदूक और निकालो वही पहली बारिश की यादें जहाँ सरोजिनी मार्किट में शॉपिंग बैग से सर ढक कर भीगने से बचने की नाकाम कोशिश करती हुई एक लड़की और उसी मार्किट के किसी कोने में छतरी टिकाये खड़ा हुआ एक शर्मीला सा लड़का। वैसे वो लड़का समझदार भी था, आख़िर बारिश आने के अंदेशे से पहले ही छाता लेकर गया हुआ था।

हाँ पर वो लड़की कुछ ज्यादा ही बेफ़िक्र और बेबाक थी, भला ऐसे भी कोई लड़की किसी अनजान लड़के की छतरी के नीचे आकर खड़ी होती है क्या?

पर पता नही क्यों उस दिन बारिश बहुत देर तक हुई थी, शायद वो भी यही चाहती थी कि उसके ख़त्म होने से पहले उन दोनों के बीच कुछ शुरू हो जाये। आख़िर उसको भी तो अच्छा लगता होगा कि जब वो चली जाए तब भी उसको लोग किसी न किसी बहाने से याद करें।

काश वो बारिश उस दिन आती ही नही या फ़िर जल्दी ख़त्म हो गयी होती तो पिछली बारिश में तुम्हे अपने पति के साथ बालकनी में चाय पीता देखकर मैं भीगा ना होता।

और आज इस बारिश में अपनी पत्नी के साथ टोमैटो सूप पीते हुए मुझे उस बारिश की याद नही आती।

उफ़्फ़ ये बारिश भी ना...जाने कब तक भिगाएगी...।

अमित 'मौन'

6 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-07-2019) को charchamanch.blogspot.in/" > "गर्म चाय का प्याला आया" (चर्चा अंक- 3412) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. अमित जी, बारिश के साथ जुड़ी बहुत सुंदर यादे बताई हैं आपने।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका

      Delete
  3. बहुत सुंदर गहरी पैठणी सुंदर अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बेहद शुक्रिया आपका

      Delete

अधूरी कविता

इतना कुछ कह कर भी बहुत कुछ है जो बचा रह जाता है क्या है जिसको कहकर लगे बस यही था जो कहना था झगड़े करता हूँ पर शिकायतें बची रह जाती हैं और कवि...