Saturday 28 March 2020

दुःख

दुःख की सीमा खोजते हुए जब अनंत दुःखों के ब्रह्मांड में पहुँचा तो सवालों के सागर मुझे ख़ुद में डुबा लेने को लालायित दिखे।

ब्रह्मांड जहाँ देखे मैंने कई प्रकार के दुःख...

सर्पों को दुःख है शरीर में हर वक़्त विष दौड़ते रहने का....

गिद्धों को दुःख है नोच नोच के माँस खाने की विशेषता का...

वफ़ादार कुत्ते को दुःख है चौकीदार कहलाने का....

काली बिल्ली को दुःख है अपशकुनी होने का....

चीटीं को दुःख है हर बार दब के मारे जाने का...

ऐसे ही ना जाने कितने दुःखों के बीच हम इंसानो का दुःख है मन और इच्छाओं के होने का....

अमित 'मौन'

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