दुःख की सीमा खोजते हुए जब अनंत दुःखों के ब्रह्मांड में पहुँचा तो सवालों के सागर मुझे ख़ुद में डुबा लेने को लालायित दिखे।
ब्रह्मांड जहाँ देखे मैंने कई प्रकार के दुःख...
सर्पों को दुःख है शरीर में हर वक़्त विष दौड़ते रहने का....
गिद्धों को दुःख है नोच नोच के माँस खाने की विशेषता का...
वफ़ादार कुत्ते को दुःख है चौकीदार कहलाने का....
काली बिल्ली को दुःख है अपशकुनी होने का....
चीटीं को दुःख है हर बार दब के मारे जाने का...
ऐसे ही ना जाने कितने दुःखों के बीच हम इंसानो का दुःख है मन और इच्छाओं के होने का....
सुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteसुंदर सृजन।
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
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